MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHING HOUSE (MLBD) SINCE 1903

SKU: 9789357600538 (ISBN-13)  |  Barcode: 9357600531 (ISBN-10)

Jain Mantra Mahavigyan

Binding
₹ 775.00

Pages : 484

Edition : 1st

Size : 5.5" x 8.5"

Condition : New

Language : Hindi

Weight : 0.0-0.5 kg

Publication Year: 2023

Country of Origin : India

Territorial Rights : Worldwide

Reading Age : 13 years and up

HSN Code : 49011010 (Printed Books)

Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House

Categories: Jainism

About the Author: 

जन्म तिथिः-13 दिसम्बर, 1952

 जन्म स्थानः-महका प्रवास स्थल टड़ा (जि. सागर म. प्र.)

शिक्षाः-शास्त्री, ज्योतिषाचार्य, आयुर्वेदाचार्य, संहितासूरि

ब्रह्मचर्य दीक्षाः-सन् 1969 जयपुर चातुर्मास में आचार्य धर्म सागर जी महाराज से ब्रह्मचर्य दीक्षा ग्रहण की।

त्याग भावना एवं संयमित जीवनः- 14 की उम्र से आचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज के संघ में रह कर धर्म-ध्यान साधु सेवा करना।

प्रतिष्ठाचार्य- भारतवर्ष के सभी प्रांतों में जैन समाज के निमंत्रण से पंच कल्याणक प्रतिष्ठा आर्ष परंपरानुसार विधि विधान पूर्वक करा कर धर्म प्रभावना करना। 

श्री भारत वर्षीय अनेकांत विद्वत परिषदः- अध्यक्ष पद पर रह करके आचार्य श्री विमल सागर जी महाराज की हीरक जयंती के शुभ अवसर पर उपाध्याय श्री भरत सागर जी महाराज की प्रेरणा आर्यिका स्यादवादमति माता जी के निर्देशन में 75 आचार्य प्रणित ग्रन्थों के प्रबंध सम्पादन का कार्य किया

विदेशों में धर्म प्रचार- विदेशों में रह रहे श्रावक श्राविकाओं ने पूजा अर्चना हेतु मन्दिरों में प्रेरणा देकर प्रतिष्ठा आप के द्वारा ही सम्पन्न हुई आप अमेरिका, कनाडा, लंदन, जर्मन, टर्की, मैक्सकों आदि स्थानों में जा करके धर्मोपदेश दिया।

ग्रन्थों का सम्पादनः- आचार्य धर्म सागर अभिवंदन ग्रन्थ, जैन साधु परिचय, वाराल्य रतनाकर, बोलती माटी, रतनाकर की लहरें, आचार्य श्रेयांस सागर स्मृति ग्रन्थ, प्रतिष्ठापाठ, आदि अनेकों ग्रन्थों का लेखन और सम्पादन कार्य किया।

अभिरुचिः- साधु सेवा, समाज सेवा, धर्म सेवा चिन्तन, लेखन पूजा विधान आदि।

सम्मानः- भारत वर्ष के सभी प्रान्तों में सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों के सुअवसर पर आपको समाज ने सार्वजनिक अभिनन्दन किया।