MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHING HOUSE (MLBD) SINCE 1903

SKU: 9789391024406 (ISBN-13)  |  Barcode: 9391024408 (ISBN-10)

Aadhunik Paramarshan Manovigyan (Modern Counselling Psychology)

Binding
₹ 795.00

Pages : 592

Edition : 2nd Revised

Size : 5.5" x 8.5"

Condition : New

Language : Hindi

Weight : 0.0-0.5 kg

Publication Year: 2023

Country of Origin : India

Territorial Rights : Worldwide

Reading Age : 13 years and up

HSN Code : 49011010 (Printed Books)

Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House


विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वास्थ्य को ‘समग्र शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक कुशलक्षेम की अवस्था एवं मात्र रोग या निर्बलता की अनुपरिथति नहीं के रूप में परिभाषित किया जाता है। स्वास्थ्य की इस व्यापक एवं सकारात्मक अवस्था को प्राप्त करने के लिए मानव विकास एवं उपचार से सम्बन्धित विविध क्षेत्रें के माध्यम से योगदान की अपेक्षा की जाती है। व्यक्ति के मनोविज्ञानिक विकास एवं स्वास्थ्य के मानसिक कारकों के विषय में विशेषता के कारण मनोविज्ञान की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है। ‘आधुनिक परामर्शन मनोविज्ञान’ जीवन के आधुनिक संदर्भो, आधुनिक जीवन की नयी-पुरानी समस्याओं और आधुनिक प्रविधियों को दृष्टगत रखकर संयोजित है। इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा अपने पूर्व प्रकाशित ग्रन्थ ‘निर्देशन एवं परामर्शन’ की सफालता के अतिरिक्त उस पुस्तक की सीमाओं को समाप्त करने की इच्छा से प्राप्त हुई। ‘निर्देशन एवं परामर्शन’ के परामर्शन खण्ड के अध्यायों की सीमाओं को इस पुस्तक में दूर करने की चेष्टा की गयी है। इस पुस्तक के सात खण्ड है- प्रथम खण्ड में संप्रत्ययात्मक बिंदुओं के अतिरिक्त लक्ष्य एवं उद्देश्य, दक्षता एवं प्रशिक्षण, सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को प्रस्तुत किया गया है। द्वितीय खण्ड में परामर्शन मनोविज्ञाऩ के विकास के लिये शोध उपागमों का वर्णन किया जाता है। तृतीय खण्ड में परामर्शन प्रक्रिया एवं परामर्शन के विविध उपगमों से सम्बन्धित अठारह प्रविधियों का वर्णन किया गया है। चतुर्थ खण्ड में अन्तर्गत जीवन धारा के संदर्भ में परामर्शन से सम्बन्धित विविध पक्षों पर विचार प्रस्तुत किया गया है। पंचम खण्ड में परामर्शन के विशिष्ट रूपों को सम्मिलित किया गया है। षष्ठ खण्ड के अन्तर्गत परामर्शियो द्वारा सामान्यतः प्रस्तुत की जाने वाली समस्याओं पर विचार किया गया है एवं सप्तम खण्ड भारतीय संदर्भ में पराशर्मन से सम्बन्धित विभिन्न पक्षों पर विचार करने के अतिरिक्त परामर्शन मनोविज्ञान के वर्तमान प्रवाह एवं प्रवृत्तियों का मूल्यांकन प्रस्तुत करता है।

About the Author: 

प्रोफेसर अमरनाथ राय के पास स्नातक विद्यार्थियों को चालीस वर्षों से भी अधिक लंबी अवधि का अध्यापन अनुभव है । प्रो. राय के लेख एवं निबंध शोध पत्रिकाओं सहित अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते है । पूर्व में दो पुस्तकों का प्रकाशन : निर्देशन एवं परामर्शन ; तथा आधुनिक परामर्शन मनोविज्ञान । दोनों पुस्तकों के कई संस्करण प्रकाशित एवं पुनः मुद्रित हुए हैं । प्रो. राय पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी एवं अध्ययन परिषद सहित अनेक समितियों के सदस्य रहे है । कम्युनिटी साइकोलॉजी एसिसिएशन ऑफ़ इंडिया के उपाध्यक्ष एवं अनेक शैक्षिक संस्थानों एवं गतिविधियों से जुड़े हुए हैं ।