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महाप्रभु महाराज जी श्री नीब करौरी बाबा-पावन कथामृत (Mahaprabhu Maharaj Ji Shri Neeb Karauri Baba-Paawan Kathamrit)

by Dr. Kusum Sharma


  • ISBN Hardcover: 9789359665160, 9359665169
  • ISBN Paperback: 9789359666211, 9359666211
  • Year of Publication: 2024
  • Edition: 1st
  • Pages: 624
  • Language: Hindi
  • Publisher: Motilal Banarsidass Publishing House
  • Sale price ₹ 525.00 Regular price ₹ 525.00

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    हमारा देश भारतवर्ष आदिकाल से ही ऋषि मुनियों की तपोभूमि रहा है। अनेक सिद्ध संतो द्वारा संपादित तप अनुष्ठानों का क्रम आज भी अनवरत रुप में चला आ रहा है। उनके कृपाशीष से असंभव कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं, परंतु संतों के दिव्य व्यक्तित्व को समझ पाना हमारे मन, बुद्धि और वाणी से परे है। विश्व प्रसिद्ध महान गुरु संत श्री नीब करौरी महाराज जी का आध्यात्मिक जीवन सदा अपने भक्तों के कल्याण के लिए समर्पित रहा। संतों की परंपरा में वे एक देदीप्यमान आलोक की भाँति, सरल हृदय भक्तों के जीवन में भक्ति की पावन धारा से निर्मल भावनात्मक प्रेम का संचार करते रहे। आध्यात्मिक आनंद की अत्यंत सरल व पावन रसधारा में स्वयं को बिसरा चुके भक्तों के हृदय में यही विश्वास प्रभावी रहा कि 'श्री महाराज जी बस हमारे हैं'। कभी किसी के मन में उनके व्यक्तिगत जीवन, परिवार यहाँ तक कि वास्तविक नाम को जानने की इच्छा भी प्रेमवश शेष न रही। संयोगवश श्री नीब करौरी महाराज जी की प्रिय सुपुत्री श्रीमती गिरिजा भटेले जी को हुई अनुभूति ही प्रेरणा बन कर इस पुस्तक के सफल लेखन में विशेष रूप से सहायक हुई है।

    लेखक के बारे में:

    उत्तराखंड की देवभूमि और सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में जन्मी डॉ कुसुम शर्मा, एक आध्यात्मिक परिवार में पली बढ़ी हैं। उन्होने कुमाऊं विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में एम एससी, बी एड और पी एच डी की डिग्री हासिल की, तथा वर्तमान में सेंट मेरीज़ कॉन्वेंट कॉलेज, नैनीताल में शिक्षिका हैं। आकाशवाणी अल्मोड़ा में नैमित्तिक उ‌द्घोषिका के रूप में कार्य करते हुए आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों से अलग-अलग विधाओं में स्वरचित रचनाओं का प्रसारण करती रही हैं। वैज्ञानिक शोध पत्रों के प्रकाशन के साथ-साथ उनकी प्रमुख पुस्तकों में राइट वे टू राइट, माँः भक्ति माँ मौनी माई, दिव्य मौन साधना, उत्तराखंड की मीराः भक्ति माँ, और मौन अभिव्यक्ति (संपादन) तथा भक्तिधारा वार्षिक पत्रिका (संपादन) शामिल हैं। वे युवाओं और बालिकाओं के सामाजिक उत्थान के क्रियाकलापों में सक्रिय रहती हैं और अपने जीवन में गीत, संगीत, ट्रेकिंग, स्कीइंग और तीर्थ स्थलों के दर्शन को जीवन का अभिन्न अंग मानती हैं।