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SKU: 9789356763685 (ISBN-13)  |  Barcode: 9356763682 (ISBN-10)

Ashtavakra Mahagita

Binding
₹ 900.00

Pages : 494

Edition : 1st

Size : 5.5" x 8.5"

Condition : New

Language : Hindi

Weight : 0.0-0.5 kg

Publication Year: 2023

Country of Origin : India

Territorial Rights : Worldwide

Reading Age : 13 years and up

HSN Code : 49011010 (Printed Books)

Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House


अष्टावक्र ऋषि द्वारा विरचित "अष्टावक्र महागीता " अद्वैत वेदान्त का महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। अपने ही पिता के द्वारा शापित ऋषि का शरीर आठ स्थलों से टेड़ा-मेडा अर्थात् वक्र था, इसीलिए वह "अष्टावक्र" नाम से प्रसिद्ध हुए । यह मिथिला नरेश राजा जनक के अध्यात्म गुरु थे। अष्टावक्र ऋषि ने अपने शिष्य राजा जनक के तीन प्रश्नों - (1) ज्ञान क्या है? (2) मुत्तिफ़ किसे कहते हैं? और (3) वैराग्य क्या है? के उत्तर देते हुए, जिस उच्चतम ज्ञान की धारा प्रवाहित की, वही है- अष्टावक्र महागीता। विषयों से अनाशक्ति का मार्ग दर्शाते हुए ऋषि ने राजा जनक के माध्यम से सभी ज्ञान-पिपासुओं को परम मुक्ति का मार्ग ही दर्शाया है। संवादात्मक-शैली में लिखा हुआ यह ग्रन्थ श्रेष्ठ है। इस ग्रन्थ में जिज्ञासु मानव- जीवन में उत्पन्न अनेक शंकाओं का समाधान स्वयं ढूंढ सकेंगे। तथा दुःख एवं अशान्ति के सागर में हिचकोलों से स्वयं बचकर किंचित् सुख व शान्ति प्राप्त कर सकेंगे। इसी आशा के साथ मैंने इस ग्रन्थ की यथामति यथाशक्ति व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। यह पुस्तक निश्चित रूप से ज्ञान-पिपासुओं को ज्ञान-रस में सराबोर करती हुई, उन्हें जीवन की नई ऊॅचाइयों तक पहुँचायेगी ।

About the Author: 

डॉ- बीना गुप्ता सन् 1974 से 2013 तक संस्कृत अध्यापन का कार्य बैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय आगरा में किया । आपके निर्देशन में चौबीस छात्रओं ने शोध कार्य (Ph-D) किया । अध्ययन, अध्यापन व लेखन में आपकी विशेष रुचि रही है। शोध-संगोष्ठियों मै आपने लगभग पचास शोध-पत्र प्रस्तुत किये ! आपकी दर्शन साहित्य व अध्यात्म में विशेष रुचि रही है। वेदान्तसार, सांख्यकारिका, तर्कभाषा, चार्वाक दर्शन, जैन एवं बौद्ध दर्शन तथा सौन्दर्यलहरी की टीकायें लिखी तथा आगरा विश्वविद्यालय स्तरीय पच्चीस पुस्तकों (व्याकरण-अलंकार, साहित्य सम्बन्धित) का सम्पादन किया । श्रीमद्भगवद् गीता, अष्टावक्र महागीता की व्याख्यात्मक पुस्तकों को लिखने का श्रेय भी आपको है।