MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHING HOUSE (MLBD) SINCE 1903

SKU: 9788120827936 (ISBN-13)  |  Barcode: 8120827937 (ISBN-10)

Hospers' Dwara Gyan-Mimansa Ke Darshnik Vishleshan Ka Ek Adhyan

₹ 195.00

Pages : 138

Edition : 3rd Reprint

Size : 5.5" x 8.5"

Condition : New

Language : Hindi

Weight : 0.0-0.5 kg

Publication Year: 2017

Country of Origin : India

Territorial Rights : Worldwide

Reading Age : 13 years and up

HSN Code : 49011010 (Printed Books)

Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House


दर्शन विचारों का तार्किक स्पष्टीकरण है। दर्शन सिद्धान्त नहीं, मात्र क्रिया है। दर्शन को विटगेंस्टाइन ने 'भाषा का आलोचन' कहा है। एयर ने दार्शनिक कार्य 'स्पष्टीकरण एवं विश्लेषण' बतलाया है। साथ ही एयर ने विश्लेषण को वस्तु-विषयक नहीं, भाषा-सम्बन्धी माना है। इसलिए दर्शन तथ्य का विश्लेषण नहीं है, भाषा-विश्लेषण है। इसे ही दार्शनिक विश्लेषण कहा जाता है।

दर्शन शब्दों को पारिभाषित करता है, पर इसका यह अर्थ नहीं है कि दर्शन एक प्रकार का शब्द कोश है। शब्दकोशों में शब्दों का पर्यायवाची शब्दों के द्वारा अर्थ बतलाया जाता है पर दर्शन में शब्दों के व्यवहार पक्ष को बतलाया जाता है। यह शब्दों के प्रयोग से सम्बद्ध है। प्राचीन दर्शनों में भी विश्लेषण का कई दार्शनिकों ने प्रयोग किया था, पर उन्होंने विश्लेषण को मात्र साधन माना था। विश्लेषी दर्शन दर्शन का मात्र विश्लेषण विचारता है।

इस प्रकार, दार्शनिक-विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य है-स्पष्टीकरण। हॉस्पर्स का दार्शनिक विश्लेषण भी उसी उद्देश्य की एक कड़ी है। उन्होंने विभिन्न दार्शनिक सम्प्रदायों का विश्लेषण किया है। उनके ज्ञान-सम्बन्धी विश्लेषण का इस छोटी-सी पुस्तक में एक अध्ययन प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।

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