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9789359669847 (ISBN-13)
नर्मदा: संस्कृति और इतिहास (Narmada: Sanskriti Aur Itihas)
नर्मदा: संस्कृति और इतिहास (Narmada: Sanskriti Aur Itihas) - Paperback is backordered and will ship as soon as it is back in stock.
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Binding : Paperback
Pages : 328
Edition : 1st
Size : 5.5" x 8.5"
Condition : New
Language : Hindi
Weight : 0.0-0.5 kg
Publication Year: 2024
Country of Origin : India
Territorial Rights : Worldwide
Reading Age : 13 years and up
HSN Code : 49011010 (Printed Books)
Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House
Categories:
MLBD New Releases
Book Description:
"नर्मदा” युगों-युगों से मानव सभ्यता, संस्कृति एवं परंपरा की प्रवाहिका रही है। सृष्टि के उत्थान और पतन की साक्षी है, इतिहास निर्मात्री है। सरकार ने नर्मदा को जीवित नदी का दर्जा दिया तो वैज्ञानिकों ने प्राचीनतम नदी के रूप में स्वीकारते हुए मध्य प्रदेश और गुजरात की "जीवन रेखा" की मान्यता दी है। प्राचीन संस्कृत ग्रंथ नर्मदा को 'शिव पुत्री' बताते हुए कहते हैं कि गंगा स्वयं अपनी पवित्रता बनाए रखने नर्मदा स्नान करने आती हैं। उत्तर और दक्षिण भारत की विभाजक रेखा होने के बाद भी नर्मदा ने समूची सनातन संस्कृति, धर्मों-संप्रदायों और पंथों को माला के मोतियों की भाँति पिरोए रखा है। प्रस्तुत ग्रंथ में नर्मदा और नर्मदाँचल के भौगोलिक, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्वरूप के साथ ही वन, भूगर्भीय संपदा और प्रदूषण आदि सभी आवश्यक तथ्यों को एक ही शीर्षक तले समेटने का प्रयास किया गया है। यह ग्रंथ छात्रों, शोधार्थियों, साहित्य प्रेमियों एवं नर्मदा भक्तों के साथ ही उनके लिए भी प्रासंगिक है जो विकास के नाम पर सभ्यता, संस्कृति और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं।
About the Author:
मनीष मिश्रा मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। आपका जन्म वर्ष 1970 में संस्कारधानी, जबलपुर में हुआ और कुछ वर्षों बाद रीवा स्थाई निवास बन गया। विगत 25 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत श्री मिश्र विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में दायित्व निर्वहन के साथ ही अन्य पत्र- पत्रिकाओं में भी लिखते रहे हैं। अन्वेषणात्मक और तथ्यात्मक लेखनी आपके लेखन शैली की विशेषता रही है। मनीष मिश्रा जी ने नेपाल, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, जर्मनी, मोनाको एवं स्पेन आदि देशों की लंबी यात्राएं भी की हैं। आपको जहाँ स्थानीय स्तर पर कई बार सम्मान पत्र प्राप्त हुए हैं, वहीं वर्ष 2019 में यूरोप यात्रा के दौरान बार्सिलोना (स्पेन) में भी सम्मानित किया गया।
"नर्मदा” युगों-युगों से मानव सभ्यता, संस्कृति एवं परंपरा की प्रवाहिका रही है। सृष्टि के उत्थान और पतन की साक्षी है, इतिहास निर्मात्री है। सरकार ने नर्मदा को जीवित नदी का दर्जा दिया तो वैज्ञानिकों ने प्राचीनतम नदी के रूप में स्वीकारते हुए मध्य प्रदेश और गुजरात की "जीवन रेखा" की मान्यता दी है। प्राचीन संस्कृत ग्रंथ नर्मदा को 'शिव पुत्री' बताते हुए कहते हैं कि गंगा स्वयं अपनी पवित्रता बनाए रखने नर्मदा स्नान करने आती हैं। उत्तर और दक्षिण भारत की विभाजक रेखा होने के बाद भी नर्मदा ने समूची सनातन संस्कृति, धर्मों-संप्रदायों और पंथों को माला के मोतियों की भाँति पिरोए रखा है। प्रस्तुत ग्रंथ में नर्मदा और नर्मदाँचल के भौगोलिक, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्वरूप के साथ ही वन, भूगर्भीय संपदा और प्रदूषण आदि सभी आवश्यक तथ्यों को एक ही शीर्षक तले समेटने का प्रयास किया गया है। यह ग्रंथ छात्रों, शोधार्थियों, साहित्य प्रेमियों एवं नर्मदा भक्तों के साथ ही उनके लिए भी प्रासंगिक है जो विकास के नाम पर सभ्यता, संस्कृति और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं।
About the Author:
मनीष मिश्रा मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। आपका जन्म वर्ष 1970 में संस्कारधानी, जबलपुर में हुआ और कुछ वर्षों बाद रीवा स्थाई निवास बन गया। विगत 25 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत श्री मिश्र विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में दायित्व निर्वहन के साथ ही अन्य पत्र- पत्रिकाओं में भी लिखते रहे हैं। अन्वेषणात्मक और तथ्यात्मक लेखनी आपके लेखन शैली की विशेषता रही है। मनीष मिश्रा जी ने नेपाल, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, जर्मनी, मोनाको एवं स्पेन आदि देशों की लंबी यात्राएं भी की हैं। आपको जहाँ स्थानीय स्तर पर कई बार सम्मान पत्र प्राप्त हुए हैं, वहीं वर्ष 2019 में यूरोप यात्रा के दौरान बार्सिलोना (स्पेन) में भी सम्मानित किया गया।