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SKU: 9789356763722 (ISBN-13)  |  Barcode: 9356763720 (ISBN-10)

Shrimad Bhagvadgita

Size
₹ 1,800.00

Pages : 973

Edition : 1st

Size : 5.5" x 8.5"

Condition : New

Language : English

Weight : 0.5-1.0 kg

Publication Year: 2023

Country of Origin : India

Territorial Rights : Worldwide

Reading Age : 13 years and up

HSN Code : 49011010 (Printed Books)

Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House


परमात्मा ने सच्चिदानन्द आत्मा को मुक्ति मार्ग पर अग्रसर होने के लिए भेजा और उसके आचरण योग्य मार्गों का ज्ञान श्रीमद् भगवद्गीता के माध्यम से दिया । ‘श्रीमद् भगवद्गीता’ - अठारह अध्याय, सात सौ श्लोकों वाला वह ग्रन्थ है, जिसमें ज्ञान, कम और भक्ति का अभूतपूर्व संगम है, जिसमें अवगाहन कर्म करने वाला निश्चित रूप से भौतिक जगत् में नैतिक आचरण का आदर्श बनता है और पारलौकिक जगत् के चरम लक्ष्य को प्राप्त करता है। भगवान् कृष्ण ने मानव-जीवन ‘आत्मा अरे द्रष्टव्यः श्रोतव्यः मन्तव्यः निर्दिध्यासितव्यः’ इस अथाह ज्ञान को अर्जुन के माध्यम से मानव मात्र तक पहुँचाया है, वही ज्ञान ‘श्रीमद् भगवद्गीता’ ग्रन्थ में निहित है। गीता मानवों की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती हुई, उन्हें उन्नयन को दिशा में अग्रसर करने में सक्षम है। अशान्ति, पीड़ा, हा- हाकार के भयावह परिवेश में श्रीमद् भगवद्गीता का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है। इसी उद्देश्य को आत्मसात करते हुए मैंने संस्कृतज्ञ तथा संस्कृत देववाणी को न समझने वालों के लिए इस ग्रन्थ को हिन्दी अर्थ तथा सरल व्याख्या सहित प्रस्तुत किया है ‘श्रीमद् भगवद्गीता’ में निहित ज्ञान को, इसके वर्ण्य - विषय को अध्येता समझें, ग्रहण करें तथा व्यवहार में लाये - अतः सरलतम शब्दों में व्यक्त किया है। गीता के वर्ण्य-विषय (ज्ञान, कम, भत्तिफ़, हठयोग आदि) को इस पुस्तक में सारणियों द्वारा व्यक्त किया गया है। यह पुस्तक निश्चित रूप से ज्ञान पिपासुओं को ज्ञान-गंगा में निमण्णित करती हुई, जीवन की नई ऊँचाइयों तक पहुँचायेगी।

About the Author:

डॉ- बीना गुप्ता सन् 1974 से 2013 तक संस्कृत अध्यापन का कार्य बैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय आगरा में किया । आपके निर्देशन में चौबीस छात्रओं ने शोध कार्य (Ph-D) किया । अध्ययन, अध्यापन व लेखन में आपकी विशेष रुचि रही है। शोध-संगोष्ठियों मै आपने लगभग पचास शोध-पत्र प्रस्तुत किये ! आपकी दर्शन साहित्य व अध्यात्म में विशेष रुचि रही है। वेदान्तसार, सांख्यकारिका, तर्कभाषा, चार्वाक दर्शन, जैन एवं बौद्ध दर्शन तथा सौन्दर्यलहरी की टीकायें लिखी तथा आगरा विश्वविद्यालय स्तरीय पच्चीस पुस्तकों (व्याकरण-अलंकार, साहित्य सम्बन्धित) का सम्पादन किया । श्रीमद्भगवद् गीता, अष्टावक्र महागीता की व्याख्यात्मक पुस्तकों को लिखने का श्रेय भी आपको हैI